कल क्या खूब इश्क़ से इन्तकाम लिया मैंने, कागज़ पर लिखा इश्क़ और उसे जला दिया। सपनों से दिल लगाने की आदत नहीं रही, हर वक्त मुस्कुराने की आदत नहीं रही, ये सोच के कि कोई मनाने नहीं आएगा, अब हमको रूठ जाने की आदत नहीं रही। फलक के तारों से क्या दूर होगी जुल्मत-ए-शब,जब […]